हुमायूं और बहादुर शाह का संघर्ष - humayun or bahadur shah ka sangharsha
हेलो दोस्तों में अनिल कुमार पलाशिया आज फिर आपके लिए एक महत्वपूर्ण जानकारी को फिर एक बार में लेकर आ रहा हु इस लेख में हम आपको हुमायूं और बहादुर शाह का संघर्ष - humayun or bahadur shah ka sangharsha से सम्बंधित जानकारी को देखेंगे जिससे आपको हुमायु और बहादुर शाह से सम्बन्धित जानकारी देखने को मिलेगी
हुमायूं द्वारा मालवा और गुजरात पर आक्रमण
गुजरात के बहादुर शाह ने 1531 ईस्वी में मालवा पर अधिकार कर लिया था 1532 ईस्वी में उसने चंदेरी बिल्स और रायसेन भी जीत लिया बहादुर शाह ने हुमायूं के कुछ अफगान और मुगल शत्रुओं को शरण भी दे रखी थी इस समय बहादुर शाह को प्रसिद्ध तोपची की सेवाएं भी प्राप्त थी
यदिभी इसी समय बिहार में शेर खान की शक्ति भी बढ़ रही थी परंतु हुमायूं ने पहले बहादुर शाह के विरुद्ध अभियान शुरू किया दिसंबर 1534 में यह आगरा से चला जनवरी 1535 में सारंगपुर पहुंच गया था
बहादुर शाह
बहादुर शाह इस समय चित्तौड़ का घेरा डाले हुए था हुमायूं में इस अवसर पर बहादुर शाह पर आक्रमण न करके एक बड़ी भूल की चित्तौड़ के पतन के बाद जब बहादुर शाह की विजय गुजरात की ओर जाना चाह रहा था तो हुमायूं की सेना ने उसे मंदसौर के पास घेर लिया यहा पर बहादुर शाह की स्थिति बड़ी नाजुक हो गई एक रात अचानक बहादुर शाह अपने को साथियों और तोपखाने के साथ मांडू की तरफ भाग निकला।
हुमायूं ने भी तेजी से बहादुर शाह का पीछा किया और मांडू तथा चंपानेर के प्रसिद्ध किलो पर अधिकार कर लिया इन दोनों किलो को जीतने में हुमायूं ने व्यक्तिगत बहादुर का शानदार प्रदर्शन किया।
हुमायु का अधकार
बहादुर मांडू चंपानेर होता हुआ वहा से भाग गया हुमायूं ने उसका पीछा किया इस प्रकार लगभग पूरे मालवा और गुजरात पर हुमायूं का अधिकार हो गया।
गुजरात के प्रबंध के लिए हुमायूं ने अपने भाई को वहां का सूबेदार नियुक्त किया हिंदू वेद को स्क्री की सहायता के लिए अहमदाबाद में छोड़कर हुमायूं मांडू लौट गया बहादुर शाह का प्रसिद्ध तोपची रूमी का हुमायूं की सेना में आ गया था।
मालवा और गुजरात का खोना।
असकरी और मुगल की गुजरात में लोकप्रिय ना हो सकी असकरी गुजरात का प्रबंधक भी कोई खास अच्छा नहीं कर सका उधर बहादुर शाह के एक विश्वसनीय अधिकारी इमाद उल मुल्क में गुजरात में लगान वसूली का कार्य जारी रखा तथा मुगलों के खिलाफ जन भावनाएं उभारने में सफल रहा।
सभी स्थिति को अनुकूल देखकर बहादुर भी युद्ध में वापस गुजरात आ गया हुमायु के भाई को अहमदाबाद छोड़ना पड़ा मुगलों और गुजराती सेना की झड़प हुई आखिर हुमायु के भाई को चंपानेर के दुर्ग में शरण लेनी पड़ी।
बहादुर शाह का पुनाहः अधिकार
चंपानेर में हुमायूं का विश्वसनीय व्यक्ति बंदी बाग नियुक्त था शंका पर उसने स्क्री की कोई सहायता नहीं की फल स्वरुप स्क्री [ हुमायु का भाई ] आगरा की ओर रवाना हो गया बहादुर शाह के आक्रमण का समाचार पाकर दास विवेक भी चंपानेर को छोड़कर मांडू चला गया गुजरात पर बहादुर शाह का पुनर अधिकार हो गया फरवरी 1537 में बहादुरशाह की।
हुमायु और सक्री की मुलाकात
हुमायूं को जब सूचना मिली कि स्क्री आगरा की ओर जा रहा है तो उसे कुछ गलतफहमी हुई वह भी मांडू छोड़कर आगरा की तरफ चल दिया रास्ते में स्क्री से मुलाकात होने पर हुमायूं की गलत से भी दूर हो गई उसने अधिकारी को क्षमा कर दिया मांडू छोड़ते ही मालवा से भी हुमायूं का अधिकार जाता रहा मालूखा ने मांडू को जीत लिया तथा मालवा पर शासक बन गया ।
FCQ ;-
Q ;- 1 हुमायु की म्रत्यु कब हुई थी
ANS ;- 27 जनवरी 1556
Q ;- 2 हुमायु के दुवारा लादे गए युद्ध
ANS ;- हुमायु ने अपनी जिन्दगी में चार युद्ध लढे
1;- 1531 का देवरा युद्ध
2;- 1538 में चोसा का युद्ध
3;- 1540 में बिलग्राम का युद्ध
4;- 1555 में सरहिंद का युद्ध
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दोस्तों इस लेख में हमने आपको हुमायु से सम्बंधित जानकारी आपके सामने राखी है आप इसमें हुमायूं ने कितने युद्ध लड़े हुमायूं और बहादुर शाह का संघर्ष - humayun or bahadur shah ka sangharsha हुमायूँ के द्वारा लड़े गए युद्ध हुमायूं की मृत्यु से सम्बंधित जानकारी को हमने इस लेख में रखा है
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