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हुमायूं का प्रारंभिक अभियान

हुमायूं का प्रारंभिक अभियान  - History of Humayun in Hindi

हेलो दोस्तों में अनिल कुमार पलाशिया आज फिर आपके लिए एक महत्वपूर्ण जानकारी लेकर आ रहा हु इस लेख में हम आपको हुमायूं का प्रारंभिक अभियान का नाम - History of Humayun in Hindi से सम्बंधित जानकारी को हम इस लेख में देखेंगे जिससे आपको यह लेख बहुत ही उपयोगी रहेगा .


हुमायूं का प्रारंभिक अभियान

हुमायूं का प्रारंभिक अभियान का नाम

हुमायु जब राजगद्दी पर बैठा तो उसके पास बहुत साड़ी समस्या आई उसे अपने पिता से मिली विरासत जो पूर्णता संगठित नहीं थी और इसके बाद उसके जो भाई थे उन्हें साम्राज्य का विस्तार भी करना था उस समय गुजरात के बहादुर शाह द्वारा मालवा पर अधिकार कर लेना हुमायूं के लिए खतरे की घंटी थी बहादुर शाह की प्रगति को रोकने के लिए उसे कालिंजर के महत्वपूर्ण दुर्ग पर मुगलों का अधिकार होना आवश्यक था अगर हुमायु भारत में स्वत्रन्त्र राज्य करना चाहता है तो उसे यह समस्या का सामना जल्द ही करना था

हुमायूं द्वारा कालिंजर के किले पर आक्रमण करने का एक कारण यह भी बताया जाता है कि वहां का शासक प्रताप रूद्र अफ़गानों से सहानुभूति रखता था।

हुमायूं का प्रारंभिक अभियान का नाम कालिंजर का अभियान था

अभियान का चरण 


हुमायूं का प्रारंभिक अभियान


जब हुमायु कलिजर पर घेरा डालने के लिए निकला तो उसने सबसे पहले कालिंजर को चारो और से घेर लिया सितंबर - अक्टूबर 1531 में कालिंजर का घेरा डाला गया यह घेरा काफी लम्बा था करीब एक माह के घेरे के बाद प्रताप रुद्र ने हुमायूं की अधीनता स्वीकार कर ली राजा रूद्र प्रताप को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था इस लिए उसने काफी धन भी मुगलों को दिया एक मत यह भी है कि महमूद लोदी के जौनपुर की तरफ बढ़ने के समाचार के कारण हुमायूं ने काफी हर्जाना लेकर कालिंजर के राजा से संधि कर ली थी।

हुमायूं के अभियान का सार 

महमूद लोदी को हुमायूं ने दादर के युद्ध में पराजित किया इस युद्ध के बाद महमूद लोदी पर राजनीति से अलग हो गया यह क्योकि माना जाता है कि शेर खान नाजुक मौके पर महमूद लोदी का साथ छोड़ दिया था। हो सकता है के इस कारण महमूद लोदी युद्ध में हार गया .

दादर की सफलता के बाद हुमायूं आगरा लौट गया कुछ मनपसंद हुमायूं ने चुनार के प्रसिद्ध किले पर घेरा डाल दिया या किला अत्यंत सामरिक महत्व का था इस समय शेरशाह के अधिकार में था।

हुमायु का चुनार का घेरा 

सितंबर से दिसंबर 1532 तक लगभग 4 माह चुनार का घेरा जारी रहा इसी बीच राजस्थान पर गुजरात के बहादुर शाह के बढ़ते दबाव को देखकर हुमायूं ने शेर खान से संधि कर ली संधि के अनुसार शेर खान ने मुगल आधिपत्य को स्वीकार किया किला शेर खान के पास ही रहने दिया शेरखान ने अपने पुत्र कुतुब खान के नेतृत्व में एक सी हुमायूं की सेवा में रख दी।

  • शेर खान ने अपने पुत्र कुतुब खा के नेतृत्व में एक हुमायूं के सेवा में सेना को रख दी
  • चुनार के घेरे में चार माह का समय बर्बाद हो गया फायदा कुछ नहीं हुआ
  • राजधानी छोड़कर घेरे का नेतृत्व स्वयं करने के लिए कुछ इतिहासकारों ने हुमायूं की आलोचना की है
  • संधि की शर्तें भी मुगलों के लिए कोई लाभदायक नहीं रही
  • इस लिए घेरे को उठाना उचित समझा .

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Q ;-1 हुमायूं का बेटा कौन था

ANS ;- हुमायु का बेटा जलालुद्दीन अकबर था 

Q ;- 2 हुमायूं का पूरा नाम क्या था 

ANS ;- हुमायु का पूरा नाम मिर्जा नासिर उद्दीन बैग मुह्हमद हुमायु .

Q ;- 3  हुमायूं की कितनी पत्नियां थी

ANS ;- हुमायु की हमीदा बानू बेगम , बेगम बिगेह , बेगम चाँद बी , हाजी बेगम 

Q ;- 4 हुमायूं का जन्म कब हुआ था

ANS ;- 6 मार्च 1508 में हुआ था 

Q ;- 5 हुमायूं की मृत्यु कब हुई

ANS ;- 27 जनवरी 1556 में 

Q ;- 6 हुमायूं की मृत्यु कब और कैसे हुई

ANS ;- हुमायु की म्रत्यु 1556 में दिनापाऊ भवन की सीढियों से उतारते समय वह फिसल गया था 

Q ;- 7 हुमायूं का पिता कौन था

ANS ;- हुमायु का पिता बाबर था 

Q ;- 8 हुमायूं के प्रारंभिक कठिनाइयां क्या थी?

ANS ;- हुमायु की प्रारंभिक समस्या अफगान थे 

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MP GK - 4 

दोस्तों इस लेख में हमने आपको हुमायु से सम्बंधित उसके प्रथम आक्रमण से सम्बंधित जानकारी को आपके सामने रखा है हुमायूं का प्रारंभिक अभियान का नाम - History of Humayun in Hindi हुमायूं के प्रारंभिक कठिनाइयां क्या थी? हुमायूँ की प्रारम्भिक कठिनाइयों का वर्णन कीजिऐ .

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