रस क्या है रस के भेद उदहारण सहित समझाइए - ras kya hai ras ke bhed udhaaran sahit
हेलो दोस्तों आज फिर आपके लिए एक महत्वपूर्ण जानकारी को हम इस लेख में देखेंगे जिससे के यह लेख आपको बहुत ही अच्छी तरह से समझ में आजायेगा इस लेख में हम आपको रस क्या है रस के भेद उदहारण सहित समझाइए से सम्बंधित सभी जानकारी आपको इस लेख में देखने को मिलेगी
रस क्या है
रस का अर्थ होता है आन्दन को प्राप्त करना . वह काव्य , कहानी , नाटक , जिसे देख कर , सुन कर , जो आन्दद हमें प्राप्त होता है उसे रस कहते है .
अथवा
रस का मतलब आनन्द को प्राप्त करना . जब हम किसी को देखते है एक छोटे बच्चे को मस्ती करते देखते है और वह यह नाटक करता है उसे नाटक करते जब हम देखते है तो उससे जो आनद हमें प्राप्त होता है वह रस ही कहलाता है
जब किसी काव्य का हम अध्ययन करते हैं या पढ़ते हैं जिसमें हमें आनंद की अनुभूति होती है वह रस कहलाता है।
रस को काव्य की आत्मा या प्राण तत्व भी माना जाता है
जब हम किसी काव्य को पढ़ते हैं सुनते हैं और उसे काव्य कविता या लेखन में जो उतर और चढ़ावा आता है खाने का मतलब यह है कि उसे कविता या लेखन में दुख प्रेम दर्द उत्साह अहंकार ग्रहण जो भी भाव हमें उसमें दिखाई देते हैं वह रस कहलाता है।
रस के प्रमुख अव्यय या रस के प्रमुख अंग
रस की परिभाषा एवं प्रकार
रस रस के चार स्थाई भाव होते हैं
- स्थाई भाव
- विभाव
- अनुभव
- संचारी व्यभिचारी भाव
1 :- स्थाई भाव
स्थाई भाव का मतलब होता है प्रधान भाव प्रधान भाव का मतलब होता है वह भाव जो रस की अवस्था तक पहुंचता है। जिसमें हमें किसी काव्य को पढ़कर आनंद की अनुभूति होती है वही आनंद स्थाई भाव कहलाता है जब हम काव्य नाटक में एक स्थाई भाव शुरू से आखरी तक देखते हैं जैसे हम किसी नाटक को देखने जाते हैं और उसे नाटक में कोई भाव उत्पन्न होता है नाटक में यह दिखाई देता है कि वह नाटक किस चीज के लिए बनाया गया है या उसे नाटक का क्या प्रभाव है या उसे नाटक में किस प्रकार से हमें सीख मिलती है वह भाव कोई हम स्थाई भाव कहते हैं
स्थाई भाव की संख्या 9 मानी जाती है और स्थाई भी हम रस की गणना कर सकते हैं । एक रस के मूल में एक स्थाई भाव रहता है रसों की संख्या 9 मानी जाती है और इसी 9 रस को हम नव रस के नाम से भी जानते हैं।
2 :- विभाव
किसी जब हमें किसी काव्य या नाटक में एक स्थाई भाव के बारे में पता लगता है खाने का तात्पर्य यह है कि हमें यह पता लग जाता है के नाटक में किसी दृश्य को सबसे ज्यादा प्रदर्शित किया जा रहा है या नाटक में किस प्रारूप को सबसे ज्यादा दिखाई जा रहा है उसके आधार पर नाटक को पूरा बनाया जाता है नाटक में एक रस झलकता है जो प्रेम वात्सल्य अद्भुत वीर जिससे हम नाटक की गणना करते हैं या काम की गणना करते हैं कि वह किस आधार पर बनाया गया है उसी से स्थाई भाव के उद्बोधक कारण को विभव कहते हैं विभव दो प्रकार के होते हैं आलंबन विभाव व उद्दीपन विभाग।
आलंबन विभाव :-
जिसका आलंबन या शहर प्रकार स्थाई भाव जागते हैं वह आलंबन विभाव कहलाता है जैसे नायक नायिका । खाने का तात्पर्य यह है कि नायक और नायिका के माध्यम से जो नाटक में भाव उत्पन्न होते हैं या जो नाटक में प्रेम उत्पन्न होता है वही भाव आलंबन विभाव कहलाता है
उद्दीपन विभाग
जहां पर हमें अनेक वस्तुएं दिखाई दे या परिस्थिति के अनुसार अनेक चीज दिखाई दे वह सब बुद्धि पर विभव के अंतर्गत आते हैं जिसे चांदनी एकांत स्थल उद्यान नायक नायिका आदि
3 - अनुभाव
हमारे मन के अंदर जो भाव व्यक्त होते हैं उसे भाव को शारीरिक विकार या अनुभव कहते हैं और अनुभव की संख्या 8 मानी जाती है।
जैसे :- स्तंभ श्वेत रोमांस स्वारभंग कम पर विवादता अश्रु प्रलय आदि।
4 :- संचारी भाव या व्यभिचारी भाव
हमारे मन में जो भाव उत्पन्न होते हैं या आने जाने वाले जो भाव होते हैं या हम यू कर सकते हैं कि हमारे मन में कुछ विचार आते हैं फिर बदल जाते हैं फिर आते हैं फिर बदल जाते हैं तो ऐसे भाव को हम संचारी भाव कहते हैं।
संचारी भाव की संख्या 33 होती है
हर्ष विषाद भय लज्जा गिलानी चिंता शंका अमृश्य मोह गर्व उत्सुकता अग्रता चपलता बिनता जड़ता आवेग निर्वेद धरती मती विरोध स्वप्न स्मृति मध्य उन्माद व्याधि मरण आदि।
रस के भेद - रस के प्रकार और स्थायी भाव
- श्रृंगार रस
- हास्य रस
- रोध्र रस
- करुण रस
- वीर रस
- अद्भुत रस
- वीभत्स रस
- भयानक रस
- शांत रस
- वात्सल्य रस
- भक्ति रस
रस के उदहारण
1 ;- श्रृंगार रस ;-
स्थाई भाव ;- रति और प्रेम
उदहारण ;-
बरसत लालच लाल की , मुरली धरि लुकाय
सोन्हे करे , भोह्नी हसे , देन कहे , नटी जाय
2 ;- हास्य रस
स्थाई भाव ;- हास
उदहारण ;-
हाथी जैसे देह , गैंडे जैसी खाल
तरबूज सी खोपड़ी , खरबूजे से बाल
3 ;- करुण रस
स्थाई भाव ;- शोक
उदहारण ;-
धोका न दो भैया मुझे , इस भांति आकर के यहा
मझधार में मुझको बहाकर तात जाते हो कहो
4 ;- वीर रस
स्थाई भाव ;- शोक
उदहारण ;-
में सत्य कहता हु सूखे , सुकुमार मत जानो मुझे
यमराज से भी युद्ध में , प्रस्तुत सदा मानो मुझे
5 ;- रोद्र रस
स्थाई भाव ;- क्रोध
उदहारण ;-
उस काल मरे क्रोध के तन कांपने उसका लगा
मानो हवा के जोर से सोता हुआ सागर जगा
6 ;- भयानक रस
स्थाई भाव ;- भय
उदहारण
एक और अजगरी , एक और म्रगराय
विकल बटोरी बीच ही , परयो मुरछा खाय
7 ;- बीभत्स रस
स्थाई भाव ;- जुगुप्सा / घ्रणा
उदहारण ;-
सिर पर बैठा काग , आँखी दोउ - खात - निकारत
खिचंत जिब्ही स्यार अतिहि आनन्द उर धारत
8 ;- अद्भुत रस
स्थाई भाव ;- विस्मय रस
उदहारण ;-
देख यशोदा शिशु के मुख में , सकल विश्व की माया
क्षणभर को वह बनी अचेतन , हिल न सकी कोमल काया
9 ;- शांत रस
स्थाई भाव ;- शम / निर्वेद
उदहारण ;-
जब में था तब हरि नाही अब हरि है में नाही
सब अंधियारा मिट गया जब दीपक देख्या माहि
10 ;- वत्सल रस
स्थाई भाव ;- वात्सल रति
11 ;- भक्ति रस
स्थाई भाव ;- भगवद / अनुराग
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दोस्तों यह लेख हमने आपके लिए बनाया है जिससे आप इस लेख को अच्छे से समझ में आ जाये इस लेख के मध्य से हम रस की सभी जानकारी को बहुत ही आसानी से समझ सकेंगे . रस क्या है रस के भेद उदहारण सहित समझाइए ras kya hai ras ke bhed udhaaran sahit रस की परिभाषा एवं प्रकार रस के प्रकार और स्थायी भाव रस के प्रकार उदहारण को लिखिए .
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